डॉ. मिथिलेश चौबे के तीन प्रमुख उपन्यासों—‘सन अस्सी’, ‘पिंगाक्ष’ और ‘कोल्हानम’में ऐतिहासिक-सांस्कृतिक विमर्श: एक आलोचनात्मक मूल्यांकन
Visit us at : www. jamshedpurresearchreview.com परिचय डॉ. मिथिलेश चौबे समकालीन हिंदी साहित्य में एक सशक्त कथाकार के रूप में उभरे हैं, जिनकी रचनाएँ झारखण्ड में , इतिहास, संस्कृति और मानव मनोविज्ञान के जटिल पक्षों को रचनात्मक संवेदना के साथ उकेरती हैं। उनके तीन प्रमुख उपन्यास—‘सन अस्सी’, ‘पिंगाक्ष’ और ‘कोल्हानम’—न केवल अलग-अलग समय, स्थान और सामाजिक यथार्थ का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि समकालीन हिंदी कथा-साहित्य को एक वैचारिक गहराई भी प्रदान करते हैं। नीचे भारतीय साहित्य में ऐतिहासिक उपन्यासों की एक समृद्ध परंपरा रही है। आचार्य चतुरसेन शास्त्री, जयशंकर प्रसाद, वृंदावनलाल वर्मा जैसे साहित्यकारों ने भारतीय अतीत को पुनराख्यायित करते हुए उसे साहित्यिक स्वरूप प्रदान किया। इसी परंपरा में एक विशिष्ट और स्वतंत्र स्थान अर्जित किया है डॉ. मिथिलेश चौबे ने, जिनके उपन्यास भारतीय इतिहास के उन अध्यायों को सामने लाते हैं जो प्रायः इतिहासकारों की दृष्टि से ओझल रहे हैं। प्रस्तुत लेख में उनके प्रमुख उपन्यासों—‘सन अस्सी’, ‘कोल्हानम’ और ‘पिंगाक्ष’—का आलोचनात्मक विश्लेषण करते हुए उनके लेखन की विशेषताओं...