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सन् अस्सी : एक दशक का दस्तावेज़ ।

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Visit us at : www. jamshedpurresearchreview.comसन् अस्सी : एक दशक का दस्तावेज़ पुस्तक समीक्षा : दिव्येंदु त्रिपाठी लेखक, वास्तु-विशेषज्ञ, सलाहकार। प्रोटो और प्राचीन इतिहास में रुचि, और प्राचीन पवित्र ग्रंथ by Divyendu Tripathy Writer ,vastu-expert ,Adviser. Interested in proto and ancient history, and ancient holy scriptures. Ph-9263567691. -------------------------------- "सन् अस्सी "डा मिथिलेश चौबे द्वारा लिखित और बहुचर्चित उपन्यास है जोकि अस्सी के दशक वाले जमशेदपुर के सामाजिक परिवेश का एक अनुप्रस्थ-चित्र (cross sectional picture) प्रस्तुत करता है । "अनुप्रस्थ चित्र" एक जैव वैज्ञानिक शब्द है जोकि किसी कोशिका(cell) या ऊतक( tissue) के अनुप्रस्थ काट से संबंधित है जिसमें उसके एक हिस्से की अंदरूनी तस्वीर दिखलाई जाती है। यह उपन्यास भी ठीक उसी तरह से जमशेदपुर का एक अनुप्रस्थ चित्र दिखलाता है और वह चित्र अस्सी के दशक का है। तब हमारा टाटानगर बिहार का ही एक हिस्सा हुआ करता था और वह अपने बहुप्रदेशीय जनबसाव की सघनता की ओर बढ रहा था । उन अनेक प्रदेशों के लोगों में

मरते मीडियाकर्मी : डूबता न्यूज मीडिया

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Visit us at : www. jamshedpurresearchreview.com मरते मीडियाकर्मी : डूबता न्यूज मीडिया Dr. Mithilesh Choubey Novelist and Editor JRR ISSN-2320-2750 एक तरफ कोरोना की महामारी ने हजारों पत्रकारों के सामने बेरोजगारी और भुखमरी की स्थिति पैदा कर दी है तो दूसरी प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में पत्रकार इस महामारी के शिकार हो रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार पिछले साल करीब 25% पत्रकारों की नौकरी गई थी. इस साल कोरोना की दूसरी लहर में भी अधिकतर अख़बारों की मानव संसाधन शक्ति पिछले वर्ष की तुलना में आधी हो गई है. अधिकतर मिडिया घराने अब स्ट्रिंगरस, स्वतंत्र पत्रकारों या कहें तो फ्री लानसेर्स के भरोसे समाचार संकलन करा रहे है. स्वतंत्र रूप से काम करने वाले तथा रिपोर्ट के आधार पर भुगतान पाने वाले इन पत्रकारों की हालत सबसे ख़राब है. खबर संकलन के क्रम में वे और उनके परिवार वाले कोरोना से लगातार संक्रमित हो कर अपनी जान गवां रहे हैं. स्वतंत्र होने की वजह से उन्हें अखबार या सरकार से कोई मुआवजा नहीं मिलता. फर्स्ट पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष 58 पत्रकार अपनी जान गवां चुके हैं. पिछले वर्ष कोरोना

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कोल्हानम छोटानागपुर के पठार में सनातन संपर्को को तलशती ईसापूर्व 2000 की रहस्यमय ऐतिहासिक कथा!! कोल्हानम को घर बैठे मंगाने का तरीका: निम्नलिखित बैक खाते में 300 रूपये जमा करें तथा भुगतान की रसीद editorjrr@gmail.com अपने पते के साथ मेल कर दें. In favour of: Jamshedpur Research Review • Account No-33673401796, IFSC code – SBIN0000096, State Bank of India • Jamshedpur Main branch, Jamshedpur, Jharkhand संपर्क-09334077378 लेखक: डॉ० मिथिलेश कुमार चौबे मूल्य :300 रूपये प्रकाशक: ज्ञान ज्योति रिसर्च फाउंडेशन, जमशेदपुर, झारखण्ड ISBN; 978-93-5416-405-7(First Edition)- 31-August 2020) ISBN :978-93-5457-769-7(2nd edition)- (16 April 2021) सिनोप्सिस: कोल्हानम गहन अनुसन्धान पर आधारित एक ऐतिहासिक उपन्यास है., जो झारखण्ड के आदिवासियों की ईसा-पूर्व 200 की एक कहानी को बेहद रोचक, और रहस्यमय अंदाज से कहता है. इसे एक महज उपन्यास कहना इस रचना के साथ बेइंसाफी होगी. यह दरअसल झारखण्ड के आदिवासियों का हजारों साल पुराना अनकहा इतिहास है. झारखण्ड के अनजान असुर स्थल, अति प्राचीन मंदिर, पुराणों में वर्
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Visit us at : www. jamshedpurresearchreview.com पुस्तक समीक्षा : कोल्हानम . लेखक: डॉ० मिथिलेश चौबे समीक्षक : डॉ० राजेश त्रिपाठी, वरिष्ठ, साहित्यकार, भोपाल, मध्यप्रदेश. ______________________________________________ ____________________________________ शीर्षक: कोल्हानम. लेखक: डॉ० मिथिलेश चौबे. प्रकाशक: ज्ञानज्योति रिसर्च फाउन्डेशन. मूल्य:300 रूपये प्रति : पेपर बैक ISBN:978-93-5416-405-7(प्रथम संस्करण(2020). ISBN:978-93-5457-769-7(द्वितीय संस्करण(2021. संपर्क -editorjrr@gmail.com, Phone-09334077378 _______________________________________________ कोल्हानम छोटानागपुर की भूमि से निकली एक उत्कृष्ट कृति है। लेखक के पास एक शानदार कहानी है कहने के लिए, तथा लेखक को कहानी कहने का दिलचस्प तरीका भी पता है. प्रत्येक पाठक अपनी मूल विचारधारा की कसौटी पर उपन्यासों आलोचनात्मक समीक्षा करता है। कभी-कभी, उसका पूर्वाग्रह उसके पढ़ने की लय को तोड़ देता है, और, वह किताब को पूरी किये बगैर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश करने लगता हैं। तो, कोल्हानम की सुंदरता यह है कि यदि आप इसकी पहली पंक्ति पढ़त

पुस्तक समीक्षा- सन अस्सी ( San Assee) ISBN 978-93-5267-586-9- समीक्षक- मनीष सिंह 'बंदन'

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शीर्षक- सन अस्सी श्रेणी-उपन्यास पेपर बैक तथा इ बुक( kindle लेखक- डॉ मिथिलेश कुमार चौबे ( ISBN-978-93-5267-586-9 मुद्रण एवं प्रकाशन- ज्ञानज्योति एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन, जमशेदपुर, झारखण्ड, समीक्षक: मनीष सिंह 'बंदन' संपर्क-7549011112 उपलब्धता : आमेजन kindle श्री राजमंगल पाण्डे सर के सौजन्य से कल मैंने एक नई पुस्तक का पाठन किया । सन् अस्सी । जी हां, यही नाम है इस दिलचस्प लघु उपन्यास का । इसे महज एक पुस्तक कह देना जरा बेमानी हो जाएगा । यह किताब किसी की भी निजी डायरी सी प्रतीत होती है, जहां जमशेदपुर के ८० के दशक के दौरान जवान हुए लोगों के तमाम चाहे-अनचाहे घटनाक्रमों और परिवेश के भीतर झांकने का काम किया गया है. इस लिहाज से पुस्तक का नाम सही प्रतीत होता है । लेखक के अनुभवों की इस गुल्लक में चंद सिक्के आपको बिल्कुल जाने-पहचाने से लगेंगे । यहां जीवन के कई शेड्स देखने को मिलेंगे जो आपके दिलो-दिमाग़ पर कई रंगों के छाप छोड़ जायेंगे । तनिक जमशेदपुरिया तरीके से कहूं तो ये करारी मिर्ची है नींबू और मसाला मार के ।। कहानी का प्लॉट, मुख्य पात्र(निशिकांत) और उसकी चार पीढ़ियों के बक